UPI Payment News
UPI Payment News:में बड़ा बदलाव, पेमेंट पर असर I online payment| GPay, PhonePe और Paytm
New rules UPI पेमेंट में हाल ही में बड़े बदलाव हुए हैं जो ऑनलाइन पेमेंट्स पर गहरा असर डालेंगे। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने अगस्त और सितंबर 2025 से कई नई नियमावली लागू की है, जो Google Pay, PhonePe, Paytm और अन्य UPI प्लेटफॉर्म्स के यूजर्स के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन बदलावों का मकसद यूपीआई ट्रांजैक्शन्स को और अधिक सुरक्षित, तेज और यूजर फ्रेंडली बनाना है।
नए UPI नियम और उनकी मुख्य बातें
डेली लिमिट्स और रोलनिंग चेक्स: अब यूजर्स एक ऐप में रोजाना अधिकतम 50 बार अपना अकाउंट बैलेंस चेक कर सकते हैं और 25 बार बैंक अकाउंट की लिस्ट देख सकते हैं। इससे सिस्टम पर लोड कम होगा और सर्वर बेहतर काम करेगा। अगर आप यह लिमिट पार कर लेते हैं तो 24 घंटे के लिए यह सुविधा ब्लॉक हो जाती है।
ऑटोपेमेंट समय सीमा: ऑटो पेमेंट्स (जैसे EMIs, सब्सक्रिप्शन्स) अब केवल निर्दिष्ट समय के भीतर ही प्रोसेस होंगे: सुबह 10 बजे से पहले, दोपहर 1 से 5 बजे तक, और रात 9:30 बजे के बाद। इससे नेटवर्क पर दबाव कम होगा और पेमेंट्स में फेल होने का खतरा घटेगा।
पेयर टू पेयर कलेक्ट रिक्वेस्ट बंद: 1 अक्टूबर 2025 से P2P कलेक्ट रिक्वेस्ट या पुल ट्रांजैक्शन सुविधा पूरी तरह बंद कर दी जाएगी ताकि धोखाधड़ी पर रोक लगाई जा सके। पहले लोग इस फीचर के जरिए फ्रॉडमैनिपुलेशन कर पैसे चुराते थे।
फास्ट ट्रांजैक्शन: 16 जून 2025 से NPCI ने यूपीआई ट्रांजैक्शन API को अपग्रेड किया है, जिससे पेमेंट्स प्रक्रिया अब 10-15 सेकंड में पूरी हो जाएगी, जो पहले की अपेक्षा काफी तेज है। इससे मर्चेंट्स के लिए पेमेंट रिसीव करना आसान होगा।
ट्रांजैक्शन लिमिट्स: नए नियमों के तहत वेरिफाइड मर्चेंट्स के लिए एक दिन में 10 लाख रुपये तक के पेमेंट की लिमिट बढ़ाई गई है, जिससे बड़ी खरीदारी या सेवाओं की पेमेंट एक बार में की जा सकेगी।
ऑनलाइन पेमेंट्स पर इसका असर
यूजर एक्सपीरियंस बेहतर होगा क्योंकि पेमेंट लेन-देन अब तेज़ और सुरक्षित होंगे।
धोखाधड़ी में कमी आएगी, विशेषकर P2P रिक्वेस्ट्स को बंद करने से।
फेल ट्रांजैक्शन चेकिंग में सीमाएं आने से यूजर्स को बेहतर ट्रांजैक्शन स्टेटस मिलेगा और बार-बार चेक करने की जरूरत नहीं होगी।
व्यापारियों और मर्चेंट्स के लिए पेमेंट लिमिट बढ़ने से बड़े ट्रांजैक्शन का कार्य सुगम होगा।
निष्कर्ष में, ये बदलाव यूपीआई को विश्वसनीय, सुरक्षित और यूजर-केंद्रित बनाने के लिए ज़रूरी हैं और आने वाले समय में डिजिटल भुगतान प्रक्रिया को और बेहतर बनाएंगे